bhairav kavach Secrets

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वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥

दुर्भिक्षे राजपीडायां ग्रामे वा वैरिमध्यके । यत्र यत्र भयं प्राप्तः सर्वत्र प्रपठेन्नरः ।।

पठनात् कालिका देवि पठेत् कवचमुत्तमम् । श्रृणुयाद्वा प्रयत्नेन सदानन्दमयो भवेत् ।।

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हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥

इह लोके महारोगी दारिद्र्येणातिपीडितः ॥ २९॥

नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।



कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।

ವಾಯವ್ಯಾಂ ಮೇ ಕಪಾಲೀ ಚ ನಿತ್ಯಂ ಪಾಯಾತ್ ಸುರೇಶ್ವರಃ

रणेषु चातिघोरेषु more info महामृत्यु भयेषु च।।

गोपनीयं प्रयत्नेन तत्त्वात् तत्त्वं परात्परम् ।

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